जीवन मूल्यों को प्रदान करने वाली शिक्षा देना विद्या भारती का लक्ष्य-सूरज पाटीदार


कुशलगढ़, बांसवाड़ा।अरुण जोशी। शिक्षा वही है जो संस्कारो का सिंचन करे। जैसे अच्छे बीज के अंकुरण के लिए अच्छी भूमि आवश्यक है वैसे ही बालको के सर्वांगीण विकास के लिए संस्कारक्षम वातावरण देने वाले विद्यालय का चयन जरूरी है।वर्तमान में शिक्षा सब जगह दी जा रही है किंतु जीवन मूल्यों की शिक्षा देने वाले विद्यालय समाज मे मात्र विद्या भारती के विद्यालय है।भाषा बालक के श्रेष्ठ जीवन की दिशा तय नही करती है केवल अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय में अंग्रेजी सीखाने के उद्देश्य मात्र से पढ़ाई जाने वाली पीढ़ी में राष्ट्रप्रेम,समाज व परिवार के प्रति समर्पण के गुणों को जगाना असम्भव है। विद्या भारती के विद्यालय समाज मे नोकरी देने के लिए नही है वह समाज व राष्ट्र के लिए श्रेष्ठ नागरिक गढ़ने के केंद्र हैं। विद्या निकेतन बड़ोदिया द्वारा सागडोद में आयोजत रात्रि कालीन ग्राम गोष्ठी चौपाल में यह विचार विद्या भारती संस्थान बांसवाडा के उपाध्यक्ष सूरज पाटीदार ने व्यक्त किए। ग्राम गोष्ठी का शुभारंभ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वयोवृद्ध सुखलाल सुथार ने की। विशिष्ट अतिथि हीरालाल सोलंकी,कालू राठौड़ रहे। प्रबन्ध समिति से दिनेश शर्मा,कमलेश बुनकर,राजेश शुक्ला उपस्थित रहे। राजकीय सेवाओ में स्थापित पूर्व छात्र भैया बहिन का उपरणा ओढ़ाकर बहुमान किया गया।
अतिथियों का परिचय वरिष्ठ आचार्य मनोज पंड्या ने करवाया एवम विद्यालय का प्रतिवेदन संस्थाप्रधान सुरेश त्रिवेदी ने रखा।
समारोह में हितेश शुक्ला,सुरेश शुक्ला,गोपाल सोलंकी का पूर्ण सहयोग रहा।
संचालन दिपेश सेवक ने किया एवं आभार राजेश शुक्ला ने माना।


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