कुशलगढ़| पूर्वाग्रही आतंकवादी अमानवीय कुकृत्य के प्रसंगार्थ अखिल भट्ट मेवाड़ा साहित्य एवं संस्कृति सृजन परिवर्धन उदयपुर के तत्वावधान में आभासी पटल पर वर्चुअल कवि सम्मेलन आयोजित हुआ। संजीदा काव्य अनुष्ठान में वर्जीनिया अमेरिका से प्रतिनिधित्व कर रही कवयित्री वीणा कुमार ने ” देशभक्ति, मातृभक्ति के समान…कैसे करें हम परिभाषित, माँ पर करेंगे सदा तन मन धन समर्पित” राष्ट्रवादी उदगार व्यक्त किए।
बैंगलोर से प्रस्तुति देते हुए गीतकार ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने “हत्यारों को जीवन का संगीत सुनाना बंद करो, हैवानों को मानवता के गीत सुनाना बंद करो, एक बार फिर दिखला दो कितनी ताकत है माटी में, एक भी दुश्मन नहीं दिखेगा काश्मीर की घाटी में” जैसा छंदोबद्ध आह्वान किया। बाँसवाड़ा से वरिष्ठ प्रयोगधर्मी साहित्यकार हरीश आचार्य ने ” वतन की ख़ातिर गोली खा कर ख़ुश है कोई, वतन को अपने गाली दे कर ख़ुश है कोई ” जैसे कटु यथार्थ से रूबरू करवाते हुए ” न उलाहना सीखिए, न प्रताड़ना सीखिए… मरहम किसी के ज़ख़्म पर लगाना सीखिए ” आह्वान किया । उदयपुर से वरिष्ठ साहित्यकार प्रमिला शरद व्यास ने प्रतीकात्मक रूपक शैली में ” परिंदे जो उड़ते इधर से उधर तक, डैने फैलाए सरहद से सरहद तक…परिंदों के घर हैं ज़मीं से फ़लक तक, तो फिर किसने बाँटी ज़मीं ” जैसा वैचारिक भावपूर्ण गीत प्रस्तुत किया। मुंबई से कवि यशपाल सिंह यश ने ” जो अस्मिता पर देश की हमला हुआ कश्मीर में, जन मन समूचे राष्ट्र का डूबा गहनतम पीर में…शांति का संदेश ही पहचान अपनी हो गया, शायद इसी में शौर्य का इतिहास दब कर खो गया” गीत प्रस्तुत किया। जावरा से डॉ. प्रकाश उपाध्याय ने ” घाटी की फ़िज़ाओं में ज़हर घोलने वालों, नफ़रत की निगाहों से धरम तोलने वालों …जिस जिसने बहाया है उन मासूमों का लहु, उनका लहु बहाएंगे तुम देखना एक दिन” जैसा आक्रोश व्यक्त किया। काव्य यज्ञानुष्ठान का बहुआयामी संयोजन-संचालन किया कवयित्री प्रमिला शरद व्यास ने। अखिल जोशी ने सुचारू रूप से ओनलाइन इवेंट का तकनीकी प्रबंधन किया।