सौभाग्यशाली है हम जो परम पावन भारत भूमि पर मिला जन्म -श्रीजी महाराज

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अनादि वैदिक सनातन संस्कृति दुनिया में सर्वश्रेष्ठ, राष्ट्रभक्ति हमारे लिए सर्वोपरी

श्री दूधाधारी गोपालजी महाराज का नूतन महल प्रवेश महोत्सव के तहत श्रीमद् भागवत कथा

भीलवाड़ा|ऋषि,मुनियों के तप-त्याग से सिंचित परम पावन भारत भूमि पर जन्म लेने के लिए तो भगवान भी तरसते है। हम सौभाग्यशाली है कि अनादि वैदिक संस्कृति में जन्म लेकर हिंदू होने का अवसर मिला। भारत भूमि तो वह है जो सभी को अपनाकर सनातन संस्कृति में विश्वास नहीं रखने वालों को भी जगह देती है। सभी को सनातन संस्कृति का सम्मान करते हुए अपने गौरवशाली इतिहास पर गर्व करना चाहिए और राष्ट्र के मान की रक्षा हमारे लिए सर्वोपरी होना चाहिए। ये विचार ठाकुर श्री दूधाधारी गोपालजी महाराज का नूतन महल प्रवेश महोत्सव के तहत नूतन महल प्रवेश महोत्सव समिति के तत्वावधान में अग्रवाल उत्सव भवन में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन रविवार को व्यास पीठ से श्री निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर श्री श्यामशरण देवाचार्यश्री ‘श्रीजी’ महाराज ने व्यक्त किए। उन्होेंने सनातन संस्कृति में विश्वास रखने वालों को संगठित रहने का संदेश देते हुए कहा कि ऐसा नहीं करने पर जाति, वर्ण, परम्परा में बांट कमजोर किया जाएगा। हमारे भगवान ने किसी से भेद नहीं किया और हमेशा असहाय,निर्धन व निर्बल पर कृपा की व शबरी के जूठे बैर भी प्रेम से खाए। भगवान नाम का सुमिरन सबको पवित्र कर देता है। अनादि वैदिक संस्कृति पर कितने ही आक्रमण हुए पर ये न कभी मिट पाई न कभी मिट पाएगी। श्रीजी महाराज ने लव जिहाद का मुद्दा उठाते हुए कहा कि कुचक्र चल रहा है और हमारी बालाओं पर बहुत संकट मंडरा रहा है। विधर्मी अपने जाल में फंसाकर उन्हें ध्येय सिद्ध होने के बाद मौत के घाट भी उतार रहे है। सनातनधर्मियों को सचेत व जागरूक होना पड़ेगा और इस बात पर चिंतन करना होगा कि हमारी संस्कृति से श्रेष्ठ कोई नहीं होने पर भी इसे छोड़ क्यों विधर्मी संस्कृति की ओर जा रहे है। उन्होंने कर्नाटक में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का बात किए जाने पर कहा कि यदि बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठन प्रतिबंधित हो गए तो राष्ट्ररक्षा कौन करेगा। उन्होंने कहा कि केवल एक समुदाय विशेष के तुष्टिकरण के लिए राष्ट्रसेवी संस्थाओं को प्रतिबंधित करना चाहते है फिर भी पता नहीं सनातनधर्मी क्यों भ्रमित हो जाते है। कथा के पांचवें दिन आदि गंगावतरण, सूर्यवंश वर्णन, श्रीराम कथा, चन्द्रवंश का वर्णन, वासुदेव-देवकी चरित्र आदि प्रसंगों का वाचन किया गया। कथा के शुरू में श्रीजी महाराज का स्वागत करने वालों में मुख्य जजमान श्री जगदीशचन्द्र नवनीत सोमानी एवं परिवार, स्वागतकर्ता रमेशचन्द्र सोमानी, श्यामसुंदर सोमानी, डॉ. शिवरतन सोमानी, संगम ग्रुप के चेयरमैन रामपाल सोनी, श्रीनिवास मोदानी, विनोद सोड़ानी, शारदा ग्रुप के चेयरमैन अनिल मानसिंहका, अमित काबरा, मनीष कोगटा, चिनमय कोगटा, श्याम चांडक, गोवर्धनलाल सोमानी, दीपक सोमानी, सत्यनारायण नुवाल, कैलाशचन्द्र बाहेती, बद्रीप्रसाद राठी, शंकरलाल काबरा, विनोद समदानी, गिरिराज मित्र मण्डल के सचिव ओपी हिंगड़, शरद अग्रवाल आदि शामिल थे। कथा के अंत में व्यास पीठ की आरती करने वालों में मुख्य जजमान जगदीशचन्द्र नवनीत सोमानी एवं परिवार के साथ दिनेश काबरा, प्रदीप सोमानी, बाबूलाल कोगटा, श्रीमती कांतादेवी झंवर, कैलाशचन्द्र पोरवाल, अशोक काबरा, गोपालकृष्ण झंवर, नरेश कचोलिया, ओमप्रकाश सोमानी, चेतना जागेटिया, उषा कचोलिया आदि शामिल थे। अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति द्वारा किया गया। श्रीमद् भागवत कथा का वाचन 20 जून मंगलवार तक प्रतिदिन शाम 4 से 7 बजे तक होगा।

संत चलायमान तीर्थ उनके चरणों से घर हो जाता पवित्र

श्रीजी महाराज ने संतों की महिमा बताते हुए कहा कि वह तो चलायमान तीर्थ होते है। संतों के चरण पड़ने पर घर और जीवन पवित्र हो जाता है। जीवन में सबसे बड़ा सहाय नारायण है उसके नाम के बिना कोई काम नहीं आता। अंतिम समय में कोई भी व्यक्ति सच्चे मन से भगवान के नाम का स्मरण कर ले उसे बैकुण्ठ प्राप्ति होगी। भगवत कृपा से भागवत श्रवण का अवसर मिलता है ऐसा करने वाला भवसागर पार हो जाता है। उन्होंने कहा कि भवसागर को पार करना दुष्कर है पर असंभव नहीं है भागवत रूपी भगवत सत्संग इसे संभव बनाता है। भगवत गुणानुवाद के बिना कल्याण नहीं हो सकता। कथा के दौरान जय-जय श्री राधे, जय श्री राम, भारतमाता की जय, सत्य सनातन धर्म की जय, श्री निम्बार्क भगवान की जय आदि जयकारे गूंजते रहे। उन्होंने नारायण के नाम बिना नहीं आवे कोई काम रे, चंदन है इस देश की माटी तपो भूमि हर गांव है हर बाला देवी की प्रतिमा, बच्चा-बच्चा राम है आदि भजनों व गीतों के माध्यम से सनातन भक्ति की ऐसी धारा प्रवाहित की जिसमें डूबकर कई श्रोता झूमते रहे।

नाग के फन पर नृत्य करते हुए यमुना से बाहर आए श्रीकृष्ण

ठाकुर श्री दूधाधारी गोपालजी महाराज का नूतन महल प्रवेश महोत्सव के तहत श्रीदूधाधारी गोपाल मंदिर परिसर में रासलीला महोत्सव के चौथे दिन शनिवार रात भी आकर्षक प्रस्तुतियों ने भक्तों का मन मोह लिया। महोत्सव में वृन्दावन के श्रीराधा सर्वेश्वर लीला संस्थान के कलाकारों द्वारा रासलीला शुरू के महारास की प्रस्तुति के बाद कृष्ण लीला प्रसंग के तहत कालिय नाग मर्दन से जुड़ी प्रस्तुति दी गई। इसमें बताया गया कि भगवान श्रीकृष्ण देखते है कि कालिय नाम का सर्प यमुना नदी में दह बनाकर रहता है जिसके कारण उसका जल विषैला हो गया है। जो भी गोपी, ग्वाल, गाय यमुना जल पीते है मुर्छित हो जाते है। यमुना का जल निर्मल करने का निश्चय कर कृष्ण ग्वालों की टोली के साथ कालिय दह पर पहुंच जाते है। वह अपने मित्र श्रीदामा की गेंद यमुना में फेंक देते है ओर गेंद लेने के लिए स्वयं यमुना में कूद पड़ते है। गोकुल में हाहाकार मच जाता है। नंद, यशोद व बृजवासी भी निश्चय कर लेते है कि जब कृष्ण नहीं तो हम जीवित रहकर क्या करेंगे। वह सब भी यमुना किनारे पहुंच जाते है। तब तक श्रीकृष्ण नाग के फन पर नृत्य करते हुए बाहर आ जाते है यह देखकर बृजवासी खुशी से सराबोर हो जाते है। कृष्ण लीला की इस प्रस्तुति ने देखने वालों को भक्ति रस में डूबो दिया और भगवान कृष्ण के जयकारे गूंज उठे। रास लीला की प्रस्तुति स्वामी शिवदयाल गिरिराज के नेतृत्व में वृन्दावन से आए 25 कलाकारों के दल द्वारा दी जा रही है। महोत्सव के तहत प्रतिदिन श्री दूधाधारी गोपाल मंदिर परिसर में रात 8 से 10 बजे तक रासलीला का आयोजन किया जा रहा है।

मूलचन्द पेसवानी


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