विद्या का जीवन में प्रवेश होता है तो विनय आती है और विनय से पात्रता आती है – पाराशर
डीग, अमर दीप सैन, 11 दिसंबर – शहर के ऐतिहासिक लक्ष्मण मंदिर में मंदिर मंहत पंडित मुरारी लाल पाराशर के सानिध्य में आयोजित श्री सीताराम विवाह महोत्सव के तृतीय दिवस सोमवार को श्री सीताराम विवाह महोत्सव की कथा का वर्णन करते हुए कथा प्रवक्ता पंडित गणेश दत्त पाराशर ने महर्षि विश्वामित्र के राजा दशरथ के दरवार में पधारने की कथा का शुभारंभ करते हुए कहा कि राजन कुछ समय के लिए मुझे आप अपने दोनों पुत्र राम और लक्ष्मण को देकर मुझे व मेरे आश्रम के ॠषि मुनियों को अनुग्रहित करें।
इस दौरान राजा दशरथ विश्वामित्र की बातें सुनकर व्याकुल हो गये परन्तु गुरु वशिष्ठ के कहने पर दोनों राजकुमारों को विश्वामित्र के साथ विदा करते हैं।इस दौरान वन में श्री राम और लक्ष्मण का ताड़का नामक राक्षसी से सामना होता है। ताड़का के पति का नाम शिन्द था।कथा के दौरान भगवान श्री राम ताड़का का एक ही बाण में वध कर देते हैं।
पाराशर बताया कि ताड़का अविघा का प्रतिक है एवं अविघा अंधकार का प्रतिक है।जीवन में यदि कुसंग व भगवान की भक्ति से दूर रहना यही अविघा है।विधा का जीवन में प्रवेश होता है तो विनय से जीवन में धन और धर्म का प्रवेश होता है।और सुख को प्राप्त करता है।कथा के दौरान सुबाहु को मार कर भगवान ने मारीच को सौ योजन दूर फेंक दिया।
उन्होने बताया कि भगवान ने अहिल्या का उद्धार किया। अहिल्या स्थिरता सहिष्णुता का प्रतीक है। धर्म के दो लक्षण सहिष्णुता व स्थिरता है।जो इसको धारण करते हैं।उसका जीवन आनंद में हो जाता है।कथा के अन्तर्गत आगे चलकर भगवान ने जनकपुर में प्रवेश किया।राजा जनक दोनों राजकुमारों को देखकर चकित हो गये। विश्वामित्र जी ने सभी का परिचय कराया।अगले ही दिन भगवान लक्ष्मण जी के साथ जनकपुरी को देखने के लिए शोभा देखने जाते हैं।इस दौरान जनकपुर की नारियां बड़े हर्ष के साथ भगवान को निहार रही है।और उनका दर्शन कर रही है।कोई पुष्पों की वर्षा कर रही है।
इस अवसर पर वैध नन्द किशोर गंधी,सुभाष पेट्रोल पंप वाले, केदार सौखियां,सुन्दर सरपंच,पहलाद,मुकुट नसवारिया ,पिन्टल गुरु,हरचंद पहलवान, पूर्व पार्षद महेंद्र शर्मा,हरिओम पाराशर, राजेन्द्र फौजदार,बच्चू मास्टर,सहित बड़ी संख्या में महिला पुरुष भक्त उपस्थित थे।