शंकरगढ़ क्षेत्र में बेधड़क खुलेआम लुट रहा सफेद खजाना

वाशिंग प्लांट और भूमाफिया निगल रहे पाठा का पानी जिम्मेदार मौन

प्रयागराज। चारों ओर से नदियों से घिरे होने के बावजूद प्रयागराज में भी पानी संकट गहराने लगा है। भू जल का जिस तरह से अंधा धुंध दोहन हो रहा है उसके अनुरूप पानी रिचार्ज नहीं हो रहा है जिसका नतीजा है कि भू जल स्तर तेजी से नीचे गिरता जा रहा है सबसे खराब स्थिति ग्रामीण इलाकों की है। जिस तरह से जलस्तर नीचे जा रहा है संभावना है कि मई तक करीब 10 फीट जल स्तर नीचे चला जाएगा। मालूम हो कि इस साल मार्च से ही गर्म हवाएं चल रही है अप्रैल में ही तापमान 43 डिग्री पार हो चुका है लेकिन तपिश में कोई कमी नहीं आई है।समय से पहले गर्मी का तेजी से बढ़ना साफ तौर पर जलवायु परिवर्तन की ओर संकेत करता है कि आने वाले दिनों में जलवायु परिवर्तन के कारण हमें कई चुनौतियों से जूझना होगा।जनपद के यमुनानगर विकासखंड शंकरगढ़ क्षेत्र अंतर्गत वैध वाशिंग प्लांट के नाम पर लगभग 3 दर्जन से अधिक वाशिंग प्लांट संचालित हो रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि नाम मात्र के ही वाशिंग प्लांट वैध रूप से चल रहे हैं लेकिन इन्हीं के आड़ में लगभग 2 दर्जन से अधिक वाशिंग प्लांट अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। क्षेत्र के शिवराजपुर, बेनीपुर, लखनपुर, कैथा, गाढ़ा कटरा, पचासा, आम गोंदर, जनवा, बिहरिया, गढ़वा किला, कचारी, गोल्हैया, बघला, मदनपुर, असवां आदि स्थानों पर वाशिंग प्लांट चल रहे हैं। सिलिका सैंड की इकाइयां दिन रात जल का दोहन करके सिलिका सेंड बालू की धुलाई करती हैं। यहां तक कि शासन के द्वारा निर्धारित मानक का अनुपालन नहीं हो रहा है। बता दें कि क्षेत्र के गढ़वा किला के सामने प्राचीन कई बीघा के तालाब पर अवैध सिलिका सैंड का कारोबार हो रहा है। तालाब में पहाड़ों से आने वाले जल स्रोत पर अवैध कब्जा करके उसी पानी से सिलिका सैंड बालू की धुलाई का काम किया जाता है। तालाब के भीटों पर हरे भरे पेड़ पौधों के बजाय सिलिका सैंड की धूल व कचड़े का जमावड़ा है। कैथा, लखनपुर व बेनीपुर के पास की नदी जो कई गांव की सिंचाई तथा पशु पक्षियों के पीने के पानी का इंतजाम करती थी उस नदी पर भी सिलका सेंड कारोबारियों की नजर लग गई और पूरी तरह से नदी के क्षेत्रफल को कब्जा कर नदी के पानी को अवैध रूप से सिल्का सेंड की धुलाई के उपयोग में ला रहे हैं। आलम यह है कि नदी अपनेअस्तित्व की लड़ाई लड़ने में इन अवैध सिलिका सैंड कारोबारियों के सामने लाचार दिख रही है।यही वजह है कि शंकरगढ़ क्षेत्र में सिलिका इकाइयों द्वारा जल दोहन व जल संरक्षण के लिए स्थित नदी तालाब के जल स्रोतों पर अवैध कब्जे से जल स्तर दिनोंदिन नीचे गिर रहा है। पाठा की धरती का तल और भूतल का पानी वाशिंग प्लांटों और भू माफियाओं ने पूरी तरह जकड़ लिया है औरअवैध रूप से निगलकर हजम कर रहे हैं। वही दूसरी ओर कई स्थानों पर भू माफिया अवैध प्लाटिंग कर पानी का दोहन कर रहे हैं जिससे प्राकृतिक जल स्रोत ताल तलैया,नदी ,नाले ,झील विलुप्त होने के कगार पर है मगर जिम्मेदारों की मौन स्वीकृति से इनके हौसले बुलंद हैं।

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