प्रयागराज।ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। प्रयागराज लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से उज्जवल रमण सिंह के आने से भाजपा खेमे में हलचल मच गई है। लोगों में चर्चा है कि गठबंधन से उज्जवल रमण सिंह भाजपा को कड़ी टक्कर देंगे।ऐसे में भाजपा को प्रयागराज लोकसभा सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए नीलम करवरिया को प्रत्याशी घोषित किए जाने की मांग तेज हो गई है।बता दें कि यमुनानगर के क्षेत्र वासियों का कहना है कि जन सेवा में निरंतर क्षेत्र में बनी रहने वाली मेजा की पूर्व विधायक नीलम उदयभान करवरिया पर भाजपा शीर्ष नेतृत्व को गहराई से विचार करना चाहिए। आपको बता दें कि शीर्ष नेतृत्व में नीलम करवरिया का नाम गया है और बहुत जल्द टिकट भी घोषित होने की संभावना है। अब बात आती है कि उज्जवल रमण सिंह के आने से नीलम करवरिया को प्रत्याशी बनाए जाने की मांग क्यों तेज हो गई।बता दें कि प्रदेश के जमीनी और कद्दावर नेता कुंवर रेवती रमण सिंह के पुत्र व प्रदेश के पूर्व मंत्री रहे उज्ज्वल रमण सिंह मंगलवार को लखनऊ में प्रदेश कांग्रेस नेताओं के सामने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। उज्जवल रमण के पाला बदलने से निश्चित ही प्रयागराज में कांग्रेस मुख्य लड़ाई में होगी, क्योंकि उज्जवल रमण सिंह ‘इण्डिया’ के प्रत्याशी भी होंगे। गठबंधन के नाते सपा का समर्थन रहेगा। कुंवर परिवार को राजनीतिक गलियारे में सपा का मजबूत स्तम्भ माना जाता रहा है। क्योंकि इनकी जमीनी पकड़ अभी तक बरकरार है। पेशे से अधिवक्ता उज्जवल रमण सिंह ने वर्ष 2004 में पहली बार सपा के टिकट पर करछना विधानसभा क्षेत्र से सदस्य विधान सभा चुने गए थे। प्रदेश की अखिलेश सरकार में 2005 में पर्यावरण मंत्री बनाए गए। वर्ष 2012 में श्री सिंह को बीज विकास निगम का अध्यक्ष बना कर दर्जा प्राप्त मंत्री बनाया गया। वर्ष 2012 के विधान सभा चुनाव में उन्हें शिकस्त मिली, लेकिन 2017 के चुनाव में एक बार फिर जीत दर्ज की । वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में उज्जवल को कम वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
वहीं मेजा की पूर्व विधायक नीलम करवरिया एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखती हैं जिनका प्रयागराज ही नहीं बल्कि प्रयागराज मंडल के कई जिलों में आजादी के समय से ही वर्चस्व रहा है। दो दशक पूर्व इनके परिवार का नाम जिले की राजनीति में शीर्ष पर हुआ करता था। खास बात यह है कि नीलम करवरिया के पति उदय भान करवरिया का उदय ही भारतीय जनता पार्टी से हुआ है। उदयभान करवरिया को सर्वप्रथम 2002 में बारा विधानसभा से उस वक्त भाजपा का टिकट मिला जब लगातार तीन पंचवर्षीय से बसपा के खाते में यह सीट दर्ज थी और उन्होंने पार्टी को सीट जीत कर दी। जबकि प्रयागराज ही नहीं बल्कि आसपास के कई जिलों में भाजपा का कोई प्रत्याशी विधानसभा में विजयी नहीं होता था। फिर 2007 में लगातार दूसरी बार बारा से विधायक चुने गए। सन् 2012 में बारा विधानसभा आरक्षित होने के बाद उदयभान करवरिया को शहर उत्तरी से भारतीय जनता पार्टी ने टिकट दिया हालांकि कुछ ही वोटो से उदयभान करवरिया को हार का सामना करना पड़ा था। फिर 2017 में उदयभान करवरिया की पत्नी को मेजा विधानसभा से भाजपा का टिकट मिला और पहली बार मेजा में भी नीलम उदयभान करवरिया के नेतृत्व में कमल खिला। हाल में हुए 2022 विधानसभा चुनाव में भी करवरिया नाम का अस्तित्व कायम रहा और नीलम उदयभान को टिकट मिला। हालांकि इस चुनाव में पिछले चुनाव से लगभग आठ हजार वोट ज्यादा मिलने के बाद भी बहुत कम वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
क्षेत्र वासियों का कहना है कि गठबंधन के प्रत्याशी उज्जवल रमण सिंह को लोकसभा चुनाव में शिकस्त देने के लिए भाजपा शीर्ष नेतृत्व गहनता से विचार विमर्श करते हुए नीलम उदयभान करवरिया को प्रत्याशी बनाए जिससे प्रयागराज 52 संसदीय लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा बरकरार रह सके।