मेवाड़ की महिला किसानों ने तोड़ा कपास उत्पादन में विश्व का औसत रिकॉर्ड

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मेवाड़ की महिला किसानों ने तोड़ा कपास उत्पादन में विश्व का औसत रिकॉर्ड

भीलवाड़ा। (पंकज पोरवाल) भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा भारत में कपास उत्पन्न करने वाले प्रदेशों में कपास की उपज बढ़ाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट चला रखा है। राजस्थान में भीलवाड़ा चित्तौड़गढ़ एवं राजसमंद जिले में इस योजना के अंतर्गत 600 किसानों के यहां सीटी सीडीआरए ने एक-एक एकड के प्रदर्शन लगाये। पूर्व उपदेश निदेशक कृषि पीएन शर्मा ने बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत आर्थिक स्थिति से कमजोर 100 प्रतिशत महिलाओं का चयन किया गया उनके यहां प्रदर्शन लगाए गए। सर्वाधिक पैदावार 1300 किलो लिंट प्रति हेक्टेयर हुई है जबकि भारत की औसत पैदावार 540 किलो व विश्व की पैदावार 744 किलो लिंट प्रति हेक्टर है। भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने राजस्थान के उत्साह जनक परिणाम को देखते हुए भूरी भूरी प्रशंसा की है। इसी संदर्भ में सांवरिया जी मंदिर पोटला जिला भीलवाड़ा में किसान मेले का आयोजन किया गया इसमें तीनों जिलों की 365 किसान महिलाओं ने भाग लिया। मुंबई से वीणा विजयन इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुई। इस मेले में 6 अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति की महिलाओं को सम्मानित किया। हिंदुस्तान सीड्स एंड पेस्टिसाइड भीलवाड़ा ने अलग से इन महिलाओं को पांच पांच सौ रुपए पुरस्कार स्वरूप प्रदान किये। मेले में वीणा का पारंपरिक रूप से कलश बंधन कर कर स्वागत किया गया। ग्रामीण महिलाएं इस अवसर पर ढोल एवं थाली मांदल बजती देखकर आनंद विभोर होकर राजस्थानी नृत्य करने लगी। मेवाड़ का यही क्षेत्र है जिसने संपूर्ण भारत में महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत परियोजना में 100 प्रतिशत महिलाओं को चुना। इन महिला किसानों का कठोर परिश्रम मेवाड़ भूमि के गौरव को जो पन्नाधाय एवं पद्मिनी की भूमि है अक्षुण्ण रखते हुए सारे विश्व के कपास के औसत को बहुत पीछे छोड़ दिया। घूंघट में रहने वाली ये महिलाएं कहीं भी किसी भी रूप में कम नहीं है इनको आगे लाने में भीलवाड़ा की कपास परियोजना पीछे नहीं रही है। यह बताना उचित होगा की अब तक कपास परियोजना में भीलवाड़ा जिले को 10 राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। जिनमें तीन महिलाएं हैं। वीणा पारंपरिक स्वागत एवं महिलाओं द्वारा कपास उत्पादन में की गई प्रगति से अभिभूत थी।


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