कुशलगढ, बांसवाड़ा।अरुण जोशी। चैत्र कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को दशा माता का पर्व परंपरागत रूप से उत्साह के साथ मनाया गया। महिलाओं ने इस दौरान पीपल वृक्ष की दस बार परिक्रमा की और कच्चे सूत का धागा लपेटा। कुमकुम, मेहंदी लगाई और चुनरी ओढ़ाई। आटे और हल्दी से बनी सोलह श्रृंगार की सामग्री भेंट की। आरती के बाद चावल-लापसी का भोग लगाकर नारियल चढ़ाए। पूजन करने के बाद महिलाओं ने नल-दमयंती की कथा सुनी। गले में धागा पहना। दशा माता मां पार्वती का ही स्वरूप है। इस दिन वृक्षों की त्रिवेणी ( पीपल, नीम और बरगद) की पूजा करने का भी विधान है। घरों में भी प्रतीक की स्थापना कर पूजा की गई। नागनाथ महादेव,दशा माता मंदिर बावलिया खार,नीलकंठ महादेव मंदिर,रतलाम रोड,पीपलेश्वर कॉलोनी,पीपलेश्वर महादेव मंदिर आदि जगह जगह पर सुबह से लेकर दोपहर तक महिलाए पूजा करते रहे हैं।