देवी अहिल्याबाई होल्कर के कृतित्व व व्यक्तित्व विषय पर कार्यशाला आयोजित

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कुशलगढ| मामा बालेश्वर दयाल राजकीय महाविद्यालय कुशलगढ़ में इतिहास विभाग द्वारा देवी अहिल्याबाई होल्कर के कृतित्व व व्यक्तित्व विषय पर कार्यशाला आयोजित की गयी। प्राचार्य महेन्द्र कुमार देपन ने बताया कि लोकमाता अहिल्याबाई का संघर्षमय जीवन नारी शक्ति के लिए अनुकरणीय व प्रेरणादायी है। धर्माचरण, शासन प्रबंध, विद्वानों का सम्मान व न्याय, दानशीलता,उदार धर्म नीति,भक्ति भावना,वीरता, त्याग व बलिदान, साहस, शौर्य से परिपूर्ण रानी अहिल्याबाई युगों- युगों तक अमर रहेंगी। इतिहास के सहायक आचार्य कन्हैयालाल खांट ने कहा कि अहिल्याबाई होलकर ने 1757 में होलकर राज्य की बागडोर संभाली। ससुर मल्हार राव से मिले संस्कारों व मार्गदर्शन का यह प्रभाव रहा कि रानी अहिल्याबाई में एक कुशल शासक के सभी गुण विद्यमान थे। प्रजा के हित में उठाए कदमों ने उन्हें लोकमाता की उपाधि दी। प्रजा की भलाई, सुरक्षा, सुख सुविधा जुटाना, बाहरी आक्रमण, विद्रोहियों और डाकुओं से राज्य की रक्षा करने के हरसंभव प्रयास रानी ने किए। इस कारण उनका राज्य बाहरी व आंतरिक शत्रुओं से सुरक्षित रहा। जन कल्याण के क्षेत्र में भी रानी अहिल्याबाई ने अनेक कार्य किए। वह अपनी प्रजा को अपनी संतान मानती थीं। उन्होंने अपने शासनकाल में कई कानूनों को समाप्त किया, किसानों का लगान कम किया, कृषि, उद्योग धंधों को सुविधा देकर विकास के अनेक काम किए। चोर, डाकुओं को सही रास्ते पर लाकर उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाकर उनके घरों को बसाया।

कार्यशाला में विद्यार्थियों के लिए निबंध व क्वीज प्रतियोगिता आयोजित की गयी। क्वीज प्रतियोगिता में माया भाभोर बीए तृतीय वर्ष ने प्रथम ,मनीष डामोर बीए तृतीय वर्ष ने द्वितीय तथा तमन्ना बारिया बीएससी प्रथम वर्ष व महेश डिण्डोर बीए द्वितीय वर्ष ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। निबन्ध प्रतियोगिता में मनीष डामोर बीए तृतीय वर्ष ने प्रथम, शीतल मईडा बीए द्वितीय वर्ष ने द्वितीय एवं महेश डिण्डोर बीए द्वितीय वर्ष ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। कार्यक्रम में डाॅ कमलेश कुमार मीना, डाॅ कविता व डाॅ प्रविन्द्र कुमार ने निर्णायक के रुप में भागीदारी निभाई।


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