परिवार नियोजन को सुदृढ बनाने के लिए कार्यशाला का आयोजन


सवाई माधोपुर 27 मई। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग व विभाग के हेल्थ पार्टनर यूएनएफपीए के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को एक दिवसीय परिवार नियोजन कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस आमुखीकरण कार्यशाला का आयोजन परिवार नियोजन, मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम के सुदृढ़ीकरण के लिए किया गया। इस कार्यशाला में जिला कार्यक्रम अधिकारी, जिला कार्यक्रम समन्वयक आशा, कार्यक्रम अधिकारी, समस्त ब्लॉक हैल्थ सुपरवाइजर, समस्त सेक्टर हैल्थ सुपरवाइजर ने भाग लिया।
प्रशिक्षण यूएनएफपीए प्रतिनिधि मनीष कुमार, सियाराम शर्मा, आदित्य तोमर व टिंकर लैब प्रतिनिधि सृजना, विधि, टिविशा द्वारा प्रदान किया गया। प्रशिक्षण में सभी को जानकारी प्रदान की गई कि यूएनएफपीए जिले में चिकित्सा विभाग को परिवार नियोजन, मातृ स्वास्थ्य और किशोर स्वास्थ्य में मजबूत करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है और सवाई माधोपुर यूएनएफपीए के लिए प्राथमिकता वाले जिलों में से एक है। उक्त संबंध में परिवार कल्याण सेवाओं को सुदृढ बनाने के उद्देश्य, विजन फैमिली प्लानिंग 2030 और परिवार नियोजन सेवाओं के लिए मांग सृजन विषय पर जानकारी प्रदान की गई।
प्रशिक्षण में गर्भपात पश्चात गर्भनिरोधक परामर्श, इसके उद्देश्य, यह किसके लिए है, उपयोग का तरीका, प्रयोग के दौरान ध्यान रखने वाली विशेष बातें, नई माँ के लिए अंतराल साधन, इसका उपयोग, तीन वर्ष के अंतराल से मां के स्वास्थ्य पर प्रभाव, एएनसी गर्भनिरोधक परामर्श, उपयोग करने के तरीके, छाया और इम्प्लांट, प्रसव पश्चात आईयूसीडी, अंतरा इंजेक्शन, माला एन, महिला नसबंदी, गर्भनिरोधक चयन टूल, टूल का इस्तेमाल कैसे करें, प्रसव के बाद गर्भनिरोधक साधन, पुरुष के गर्भनिरोधक साधन, आपातकालीन गोली के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गयी। उन्होंने जानकारी दी कि गर्भपात के बाद भी गर्भधारण की संभावना बनी रहती है। अनचाहे गर्भधारण को रोकने के लिए या फिर से गर्भवती होने के लिए शरीर को उबरने के समय मिले इसलिए सही गर्भनिरोधक चुनना जरूरी है।
कार्यशाला में रोले प्ले करके आमजन को जानकारी देने का प्रशिक्षण दिया, दोनों बच्चों में तीन साल का अंतर क्यो रखा जाए, बच्चों में अंतर रखने पर क्या फायदे होते हैं और तीन साल से कम अंतर रखने पर मां और बच्चे को होने वाले फायदे के बारे में बताया गया। उन्होंने बताया कि सही समय पर शादी, बच्चों में सही अंतर होने से मां में पोषक तत्वों और आयरन की पूर्ति हो जाती है, बच्चे को मां का पूरा दूध और देखभाल मिल पाता है व जन्म के समय बच्चा तंदुरुस्त और सही वजन का होने की संभावना रहती है।


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