करौली 18 नवम्बर। जिले में बाल संरक्षण सप्ताह के अन्तर्गत 18 नवम्बर को जिला प्रशासन, बाल अधिकारिता विभाग, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, नेहरू युवा केंद्र एवं एक्शनएड यूनिसेफ करौली के संयुक्त तत्वावधान में विश्व बाल यौन शोषण, दुर्व्यवहार ओर हिंसा की रोकथाम एवं उपचार दिवस के अवसर पर स्वतंत्रता सेनानी चिरंजी लाल राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय करौली में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
एक्शनएड यूनिसेफ जिला समन्वयक दिनेश कुमार बैरवा ने बताया है कि बच्चों का यौन शोषण और यौन दुर्व्यवहार घर पर, स्कूल में, पाठ्येतर गतिविधियों के दौरान, सड़क पर, फोन पर, वेबकैम के माध्यम से या सामान्य रूप से ऑनलाइन हो सकता है। ज़्यादातर मामलों में यह किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाता है जिसे बच्चा जानता है, उनके विश्वास के घेरे में होता है और इससे बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को आजीवन नुकसान पहुँचता है। ज़्यादातर मामलों की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज नहीं की जाती। पूरे समाज का कर्तव्य है कि वह इन अपराधों को रोके, अपराधियों पर मुकदमा चलाए और पीड़ितों की रक्षा करे। इसे प्रकाश में लाना और स्थिति को संबोधित करने के लिए व्यावहारिक कदम उठाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। 2015 में, बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा को रोकने के लिए वन इन फाइव अभियान के अनुवर्ती के रूप में, यूरोप परिषद के मंत्रिपरिषद समिति ने 18 नवम्बर को यौन शोषण और यौन दुर्व्यवहार के खिलाफ बच्चों के संरक्षण के लिए यूरोपीय दिवस घोषित किया। 2022 में, संयुक्त राष्ट्र ने 18 नवम्बर को बाल यौन शोषण, दुर्व्यवहार और हिंसा की रोकथाम और उपचार के लिए विश्व दिवस के रूप में मान्यता दी।
शरद त्रिपाठी जिला युवा अधिकारी नेहरू युवा केंद्र ने बताया है कि यूरोप की परिषद राज्य प्राधिकारियों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र सहित अपने साझेदारों को यौन शोषण और यौन दुर्व्यवहार के विरुद्ध बच्चों के संरक्षण दिवस की जिम्मेदारी लेने के लिए आमंत्रित करती है। आप अपनी व्यक्तिगत या व्यावसायिक क्षमता (माता-पिता, शिक्षक, कानून प्रवर्तन एजेंट, खेल प्रशिक्षक, गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि, आदि) में गतिविधियों का आयोजन करके और जागरूकता बढ़ाकर इस दिवस को मना सकते हैं। काउंसिल ऑफ यूरोप के भागीदारों को कार्रवाई करने और जागरूकता बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया और पहले से मौजूद नेटवर्क का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। उदाहरण के लिए स्कूल कार्यशालाओं, सार्वजनिक चर्चाओं, बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा के विषय पर फिल्मों की स्क्रीनिंग, सार्वजनिक बयान देने और मीडिया कार्यक्रम आयोजित करने के माध्यम से जागरूकता लाकर इसकी रोकथाम की जानी चाहिए साथ ही पोक्सो एक्ट, जेजे एक्ट, पीसीपीएनडीटी एक्ट, साइबर क्राइम के संबंध में जानकारी दी गई। इस दौरान विद्यालय के छात्र छात्राओं सहित अध्यापकगण मौजूद रहे।