पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह के आश्वासन के बाद टंकी से उतरा युवक राधेश्याम
भरतपुर। अनुकंपा नौकरी की मांग को लेकर एक युवक पानी की टंकी पर चढ़ गया और अधिकारियों के लाख प्रयास के बाद भी वह नीचे नहीं उतरा तो पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने मौके पर पहुंचकर उसे समझा बुझाकर टंकी से नीचे उतारा और उसे नौकरी लगवाने का आश्वासन दिया । करीब 5 घंटे तक चले घटनाक्रम के दौरान मौके पर भीड़ हो गई ।
यहां तक कि मीडिया कर्मी भी नीचे उतरने के लिए प्रयास करते रहे लेकिन युवक ने किसी की नहीं सुनी और आखिर पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह के मौके पर पहुंचने के बाद ही वह टंकी से उतरा ।
कुम्हेर क्षेत्र के पेंघोर लखन हाल प्रिंस नगर कॉलोनी निवासी राधेश्याम उर्फ गौरव आज सुबह नई मण्डी स्थित पानी की टंकी पर चढ़कर प्रदर्शन करने लगा । जैसे ही मंडी में लोगों को पता चला कि कोई व्यक्ति पानी की टंकी पर चढ़ गया है तो उसकी सूचना पुलिस को दी । सूचना मिलने पर कोतवाली थाना पुलिस सहित सीओ सिटी नगेंद्र कुमार, एसडीएम देवेंद्र परमार, तहसीलदार ताराचंद सैनी के अलावा एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और हालातों को देखते हुए टंकी के चारों तरफ जाल लगवा दिया । टँकी पर चढ़े युवक से काफी देर तक नीचे उतरने के लिये कहते रहे लेकिन उसने एक न सुनी और जब तक अनुकंपा नौकरी नही मिलेगी, नीचे नही उतरने की बात पर अड़ा रहा ।
सूचना पर मीडिया कर्मी भी मौके पर कवरेज करने पहुंचे और उन्होंने भी उसे नीचे उतरने के काफी प्रयास किये और उससे फोन पर भी बार बार संपर्क करते रहे लेकिन वह नीचे नही उतरा ।
बाद में मीडिया कर्मियों की सूचना मंत्री विश्वेन्द्र सिंह तक पहुंची तो वह मौके पर पहुंचे और लाउडस्पीकर से उससे नीचे उतरने के लिये कहा कि मैं बुढा हो गया हूँ हार्ट का पेशेंट भी हूं ऊपर नहीं चढ़ सकता। मंत्री विश्वेंद्र सिंह के कहने पर गौरव पानी की टंकी से उतर आया तो पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने राहत की सांस ली । मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने गौरव को आश्वासन दिया कि नौकरी मिल जाएगी परेशान होने की जरूरत नहीं है ।
पीड़ित राधेश्याम कई बर्षो से अनुकम्पा नौकरी के लिये तमाम मंत्रियों, अधिकारियों की चौखट पर गुहार लगा चुका है लेकिन सिवाय आश्वासन के उसे कुछ नहीं मिला । कुछ दिन पहले उसने कलेक्ट्रेट पर भूखा प्यासा रहकर भी अनशन किया था और अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपा था लेकिन जब उसे न्याय नहीं मिला तो वह आज पानी की टंकी पर चढ़ गया ।
दरअसल राधेश्याम के पिता सीआरपीएफ में तैनात थे और रांची में उनकी पोस्टिंग थी । नौकरी के दौरान वह रांची से नीमच आ रहे थे तभी रास्ते मे उनकी बीमारी से मृत्यु हो गई । उस समय गौरव उर्फ राधेश्याम की उम्र महज 4 महीने का था और उसके पिता की शादी हुए भी डेढ़ बर्ष ही हुआ था ।
तब उसके परिजनों को आश्वासन दिया था कि गौरव के बालिग होने पर उसे नौकरी दे दी जाएगी ।
गौरव जब 18 साल का हो गया तो उसने अनुकंपा नौकरी पाने के लिये सीआरपीएफ में आवेदन किया लेकिन उसे सीआरपीएफ द्वारा मेडिकल में अनफिट कर दिया । उसने अधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन उसकी कोई सुनवाई नही हुई और नौकरी के लिए राज्य सरकार से संपर्क करने के लिए कहकर गेंद राज्य सरकार के पाले में डाल दी ।
राजस्थान सरकार में नौकरी पाने के लिये उसने तमाम मंत्रियों व अधिकारियों के यहाँ तीन साल से चक्कर लगाकर गुहार की लेकिन किसी ने भी उसकी मदद नही की और वह परेशान होता रहा ।
कई बार उसकी पीड़ा को मीडिया के माध्यम से सरकार तक पहुंचाया गया लेकिन फिर भी परेशान गौरव की पीड़ा को खत्म करने के लिये किसी ने कदम नहीं उठाया ।
आज टंकी पर से उतारने के दौरान पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह द्वारा नौकरी दिलाने के दिये आश्वसन से गौरव की उम्मीद जगी है कि शायद अब उसे नौकरी मिल जाएगी ।
P. D. Sharma