बनकोड़ा गांव के युवा ने भारतीय कृषि में आधुनिक तकनीकी पर शोध कर प्राप्त की पीएचडी उपाधि

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बांसवाड़ा।अरुण जोशी। बनकोड़ा गांव के होनहार युवा डॉ. दिनेश कुमार कलाल ने भारतीय कृषि में आधुनिक तकनीकी के उपयोग पर शोध कर प्रतिष्ठित पीएचडी उपाधि प्राप्त कर गांव और प्रदेश का नाम रोशन किया है। उनका यह शोध भारत जैसे कृषि प्रधान देश में अत्याधुनिक तकनीकी के जरिए खेती को अधिक सुरक्षित और लाभदायक बनाने के लिए समर्पित है। डॉ. दिनेश ने अपने शोध में वायरलेस सेंसर नेटवर्क आधारित संरचना विकसित की है, जो किसानों को फसल की सुरक्षा और उचित देखभाल में मदद करती है। यह तकनीक फसलों को जंगली जानवरों और अन्य संभावित खतरों से बचाने के साथ-साथ खेतों की मिट्टी, जल और तापमान की निगरानी भी करती है। इस शोध के परिणाम स्वरूप, भारतीय कृषि में एक नई क्रांति लाने की संभावना जताई जा रही है।डॉ.दिनेश वर्तमान में गुजरात के प्रतिष्ठित जीएलएस यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद में कंप्यूटर विज्ञान के सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। वे मशीन लर्निंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, मानव-कंप्यूटर इंटरफेस, और वेब प्रोग्रामिंग जैसे विषयों में विशेषज्ञता रखते हैं। उन्होंने अपने शैक्षणिक करियर में अब तक कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र प्रकाशित किए हैं, जिनमें से तीन Springer और एक Gravid जर्नल में प्रकाशित हुआ है। डॉ. दिनेश के इस अभूतपूर्व कार्य ने न केवल बनकोड़ा गांव को गौरवान्वित किया है। बल्कि भारतीय कृषि को तकनीकी के नए आयाम प्रदान किए हैं। उनके इस योगदान को कृषि और तकनीकी विशेषज्ञों ने भी सराहा है।उनकी सफलता से प्रेरित होकर, यह उम्मीद की जा सकती है कि अन्य युवा भी उच्च शिक्षा और शोध के क्षेत्र में कदम बढ़ाकर देश की प्रगति में योगदान देंगे।


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