आज सभी पूर्वजों के निमित्त सर्वपितृ अमावस्या को करें श्राद्ध; कामवन में विराजित गयाकुण्ड पर तर्पण करें

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आज सभी पूर्वजों के निमित्त सर्वपितृ अमावस्या को करें श्राद्ध; कामवन में विराजित गयाकुण्ड पर तर्पण करें

कामां। जिन पूर्वजों की पुण्यतिथि ज्ञात नहीं है उनका भी श्राद्ध अमावस्या को करें। कामवन में विराजित गयाकुण्ड पर तर्पण करें। पौराणिक मान्यतानुसार रास रासेश्वर श्रीकृष्ण ने अपने पूर्वजों का तर्पण व श्राद्ध मां यशोदा व नन्दबाबा के साथ इसी स्थान पर किया था।
ग्रंथों के मुताबिक श्राद्ध करने से पितर तृप्त होते हैं। इससे उनका आशीर्वाद मिलता है। हमारा सौभाग्य और वंश परंपरा बढ़ती है। घर में सुख और शांति रहती है। परिवार में बीमारियां नहीं होती। धर्म-कर्म में रुचि बढ़ती है। परिवार में संतान पुष्ट, आयुष्मान और सौभाग्यशाली होती है। पितरों का पूजन करने वाला दीर्घायु,बड़े परिवार वाला,यश,स्वर्ग,पुष्टि, बल,लक्ष्मी,पशु,सुख-साधन तथा धन-धान्य प्राप्त करता है। सर्वपितृ अमावस्या को महालया अमावस्या,पितृ अमावस्या या पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से जाना जाता है। पितृपक्ष या श्राद्ध पक्ष, हिंदू अनुष्ठानों के अनुसार पूर्वजों को समर्पित एक अवधि है। ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष की 15 दिनों की अवधि के दौरान,पूर्वज पृथ्वी पर अवतरित होते हैं। इसीलिए इस दौरान दिवंगत आत्मा के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। 29 सितंबर से पितृपक्ष प्रारंभ हुए और 14 अक्टूबर को समाप्त होंगे। 14 अक्टूबर यानी अमावस्या पितृपक्ष का अंतिम दिन होता हैं इसे सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी जानते हैं। इस दिन पितरों के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। सर्वपितृ अमावस्या को महालया अमावस्या, पितृ अमावस्या या पितृमोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
पितृ पक्ष के 16 दिन तिथि अनुसार श्राद्ध किया जाता है। लेकिन सर्वपितृ अमावस्या के दिन परिवार के उन मृतक सदस्यों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु अमावस्या तिथि, पूर्णिमा तिथि और चतुर्दशी तिथि को हुई हो। धार्मिक मान्यता के अनुसार अमावस्या तिथि पर किया गया श्राद्ध परिवार के सभी पूर्वजों की आत्माओं को प्रसन्न करता है। इसलिए इस दिन सभी पूर्वजों के निमित्त भी श्राद्ध करना चाहिए। इसके अलावा जिन पूर्वजों की पुण्यतिथि ज्ञात नहीं है उनका भी श्राद्ध अमावस्या में किया जाता है। परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु हुई हो उनके निमित्त भी सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण किया जा सकता है। ऐसा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, इसलिए अमावस्या श्राद्ध को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है।


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