लू-ताप व हीट वेव से बचाव एवं राहत के लिए ‘क्या करें व क्या ना करें एडवाईजरी जारी


ग्रीष्म ऋतु में लू-ताप व हीट वेव को देखते हुए आमजन के बचाव एवं राहत के लिए ‘‘क्या करें व क्या ना करें’’ के संबंध में एडवाईजरी जारी

आपदा प्रबंधन सहायता एवं नागरिक सुरक्षा विभाग द्वारा ग्रीष्म ऋतु में लू-ताप गर्मी, तापमान बढ़ने, ताप की लहर, हीट वेव एवं अन्य विपरीत जलवायु परिवर्तन से आमजन के बचाव एवं राहत के लिए ‘‘क्या करें व क्या ना करें’’ के संबंध में एडवाईजरी जारी की गई हैं।
आपदा प्रबंधन सहायता एवं नागरिक सुरक्षा विभाग द्वारा गर्मी व ताप की लहर को देखते हुए ‘‘क्या करें व क्या ना करें’’ के संबंध में एडवाईजरी जारी की गई है।

क्या करें

स्थानीय मौसम संबंधित खबरों के लिए रेडियो सुने व टीवी देखें तथा समाचार पत्र पढ़े या संबंधित मोबाईल एप डाउनलोड करें। पर्याप्त पानी पीयें तथा अपने आपको हाइट्रेटेड रखने के लिए ओआरएस (ओरल रिहाइट्रेशन सॉल्यूसन), घर के बने पेय जैसे लस्सी, तोरानी (चावल का मांड) निंबू का पानी व छाछ आदि का सेवन करें। हल्के रंग के ढीले व सूती कपड़े पहनें। यदि कही बाहर हैं तो अपना सिर ढके, कपड़े, टोपी या छतरी का उपयोग करें। आंखों की सुरक्षा के लिए धूप के चश्म का प्रयोग करें और त्वचा की सुरक्षा के लिए सनक्रीन लगाएं तथा प्राथमिक चिकित्सा में प्रशिक्षण लें।

वृद्ध एवं कमजोर व्यक्तियों की करें खास देखभाल

तेज गर्मी के दौरान वृद्ध एवं कमजोर व्यक्तियों की दिन में कम से कम दो बार जांच करें तथा ध्यान रहे उनके पास फोन अवश्य रहे। यदि वे गर्मी से बेचैनी महसूस कर रहे तो तो उन्हें ठंडक देने का प्रयास करें, उनके शरीर को गीला रखें, उन्हें नहलाएं अथवा उनकी गर्दन तथा बगलों में गीला तौलियां रखें, उनके शरीर को ठंडक देने के साथ ही डॉक्टर अथवा एंबुलेंस को बुलाएं। उन्हें अपने पास हमेशा पानी की बोतल रखने के लिए कहें।

यह भी पढ़ें :  सुरभि संगीत संस्था ने मनाया रास रंग फाग उत्सव 2025

बच्चों के लिए बरती जाने वाली सावधानियाँ

गर्मी के मौसम में बच्चों को पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं, शिशुओं में गर्मी की वजह से होने वाली बीमारियों का पता लगाना सीखें, यदि बच्चे के पेशाब का रंग गहरा है तो इसका मतलब है कि वह डीहाईड्रेशन (पानी की कमी) का शिकार है तथा बच्चों को बिना देखरेख खड़ी गाड़ी में छोड़ कर न जाएं क्योंकि वाहन जल्दी गर्म होकर खतरनाक तापमान पैदा कर सकते हैं।

नियोक्ता द्वारा श्रमिकों के लिए की जाने वाली व्यवस्थाएँ

नियोक्ता श्रमिकों के लिए कार्यस्थल पर ठंडे पेयजल का प्रबंध करें, सभी श्रमिकों के लिए आराम के लिए छाया, साफ पानी, छाछ, आइस पैक के साथ प्राथमिक चिकित्सा किट और ओआरएस (ओरल रिहाइट्रेशन सॉल्यूसन) का प्रबंध रखें। श्रमिकों के लिए सीधी धूप से बचने के लिए कहे तथा श्रमसाध्य कार्यों को दिन के कम ताप वाले समय में ही करें। बाहरी गतिविधियों के दौरान विश्राम करने की आवृति और सीमा समय बढ़ावें। श्रमिकों को लू से संबंधित चेतावनी के बारे में सूचित करें तथा जिन श्रमिकों के लिए गर्मी वाले क्षेत्र नए हो, उन्हें हल्का काम और कम घंटों का काम दें।

मवेशियों के लिए बरती जाने वाली सावधानियाँ

पशुओं का छाया में रखें और उन्हें पीने के लिए पर्याप्त, स्वच्छ व ठंडा पानी दें, पशुओं से सुबह 11 बजे से सायं 4 बजे के बीच काम न लें। शेड की छत को पुआल से ढक दे, तापमान कम करने के लिए इसे सफेद रंग या चूने से रंग दे या गोबर से लीप दें। लेड में पंखे, वाटर स्प्रे और फॉमर्स का प्रयोग करें। अत्यधिक गर्मी के दौरान पानी की छिड़काव करें और मवेशियों को ठंडा करने के लिए एक जल निकाय पर ले जाएं, पशुओं को हरी घास, प्रोटीन-वसा बाईपास पूरक, खनित मिश्रण और नमक दें तथा कम गर्मी वाले घंटों के दौरान उन्हें चरने दें।

यह भी पढ़ें :  गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर शहर के लाखों लोगों ने कि शहर की परिक्रमा आवारा जानवरों ने कईयों को किया इस दौरान घायल

लू के दौरान पालतू जानवरों के लिए सावधानियाँ

तेज गर्मी के दौरान पालतू जानवरों को घर के भीतर रखें, यदि उन्हें घर के भीतर रखा जाना संभव न हो तो उन्हें किसी छायादार स्थान में रखें जहां वे आराम कर सकें। जानवरों को किसी बंद में न रखें क्योंकि गर्म मौसम में इन्हें जल्दी गर्मी लगने लगती है, पालतू जानवरों को पूरी तरह साफ रखें तथा उन्हें ताजा पीने का पानी दें व पानी को धूप में न रखें। दिन के समय उनके पानी में बर्फ के टुकड़े डालें। पीने के पानी के दो बाउल रखें ताकि एक में पानी खत्म होने पर दूसरे से वे पानी पी सकें। अपने पालतू जानवर का खाना धूप में न रखें, पालतू कुत्ते को गर्मी में न टहलाएं तथा उसे सुबह और शाम को घुमाएं जब मौसम ठंडा हो, कुत्ते को गर्म सतह (पटरी, तारकोल की सड़क, गर्म रेत) पर न चलाएं तथा किसी भी स्थिति में जानवर को वाहन में न छोड़ें।

अन्य बरती जानी वाली सावधानियाँ

बंद वाहन में बच्चों या पालतू जानवरों को कभी अकेला ना छोड़ें, पंखें व नम कपड़ों का प्रयोग करें, ठंडे पानी में स्नान करें, भूमण्डलीय ऊष्मीकरण और गर्मी को कम करने में मदद के लिए सार्वजनिक परिवहन और कार पूलिंग का उपयोग करें, पेड़ लगाएं व सूख्ी पत्तियों, कृषि अवशेषों व कचरे को न जलाएं, जल स्त्रोतों का संरक्षण करें व वर्षों के जल को संचयित करें, ऊर्जा कुशल उपकरणों, स्वच्छ ईंधन और ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों का उपयोग करें, चक्कर आने व अस्वस्थ महसून होने पर तुरन्त डॉक्टर के पासे जाये।

यह भी पढ़ें :  आइसीएआई भीलवाडा शाखा द्वारा बैंक ऑडिट में सॉफ्टवेयर के व्यावहारिक ज्ञान पर सेमिनार आयोजित

क्या ना करें

धूप में बाहर जाने से बचे (खासकर दोपहर 12 और 3 बजे के बीच), दोपहर में बाहर भारी कामों से बचे, नंगे पांव बाहर न जायें, दिन के सबसे गर्म समय के दौरान खाना पकाने से बचें, खाना पकाने वाले हिस्से को हवादार बनाए रखने के लिए दरवाजे और खिड़कियां खुली रखें, शरीर को डिहाइड्रेट होने से बचाने के लिए शराब, चाय, कॉफी व कॉर्बोनेटेड शीतल पेय से बचें, अधिक प्रोटीन वाले भोजन से बचें व बासा भोजन ना करें। पार्क किए गए वाहनों में बच्चों या पालतू जानवरों को न छोड़ें, ऐसे बल्बों का उपयोग करने से बचे जो अनावश्यक गर्मी उत्पन्न करते हैं।

लू से प्रभावित व्यक्ति के उपचार के टिप्स

लू से प्रभावित व्यक्ति के शरीर के तापमान को कम करने के लिए पीड़ित के सिर पर गीले कपड़े का उपयोग करें या पानी डाले, व्यक्ति को ओआरएस या नींबू, शरबत या जो कुछ भी शरीर को पुनः सक्रिय करने के लिए उपयोगी हो वह पीने के लिए दें, व्यक्ति को तुरन्त नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर ले जाये, यदि लगातार उच्च तापमान बना रहता है और सिरदर्द, चक्कर आना, कमजोरी, मतली या भटकाव आदि के लक्षण स्पष्ट महसूस हो तो ऐसी स्थिति में 100 नंबर को कॉल करें


WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now